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लेखनी कहानी -05-Jun-2023 पुल

बिहार के भागलपुर में गंगा नदी पर सन 2014 से बन रहा पुल आखिर गिर पड़ा । कब तक इंतजार करता बेचारा ? पहले भी गिर गया था मगर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया तो उसने सोचा एक बार और गिरकर देख लूं , कोई ध्यान देता है क्या ? ध्यान आकृष्ट करने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते हैं ? किसी पर झूठे आरोप लगाकर जंतर मंतर पर बैठ जाते हैं । संसद में स्पीकर पर कागज फेंक देते हैं । निर्माता निर्देशक का ध्यान आकृष्ट करने के लिए और हीरोइन बनने के लिए लड़कियां कपड़े तक उतार देती हैं । तो बेचारा पुल गिर भी नहीं सकता है क्या ? 

जब पुल गिर पड़ा तो खैराती मीडिया में सन्नाटा पसर गया । खबर चलायें तो कैसे चलायें ? सवाल सेक्युलर बिरादरी का है जिसके दम पर ये खैराती मीडिया पल रहा है । यदि ये घटना किसी कम्युनल राज्य में होती तो अब तक रिपोर्टर मौके पर पहुंच कर एक समुदाय विशेष के लोगों को इकठ्ठा करके "रुदाली" शुरू कर देते । पर अपने ही आकाओं के खिलाफ खबर कैसे चलायें  ? ये लोग सन 2005 से ही "राग सुशासन" गा रहे थे अब "राग कुशासन" कैसे गायें ? "गोदी मीडिया" कहीं कुछ गड़बड़ ना कर दे इसे रोकने के लिए ईको सिस्टम सक्रिय हो गया । 

आखिर सरकार में तो "खानदानी" दल भी शामिल है । वैसे तो सरकार में जो भी हैं सब के सब खानदानी दल ही हैं । इन दलों के नेता अपनी पार्टी को अपनी जेब में रखकर चलते हैं । खैरात पर पलने वाला ईको सिस्टम अपने "आकाओं" के खिलाफ खबर कैसे चलाए ? जो लोग कल तक रेल हादसे पर भौंक रहे थे वे आज दुम दबाकर "दो पैग" लगाकर कहीं दुबके पड़े हैं । अब ये मत कहना कि बिहार में शराब बंदी है इसलिए वहां दो पैग लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है । ये पब्लिक है ये सब जानती है । 
गनीमत है कि "सुशासन बाबू" को इसका समाचार मिल गया अन्यथा वे तो अब तक यही कहते आये हैं कि उन्हें तो कुछ पता ही नहीं है । यहां तक कि बिहार की राजधानी पटना में भी कुछ घटना घटित हो जाये तो वे यही कहते आये हैं कि उन्हें कुछ पता ही नहीं है । 
"अच्छा ऐसा हो गया है क्या ? हमें तो कुछ पता ही नहीं है" । यही कहते आए हैं सुशासन बाबू । 

हिम्मत करके एक दिन एक पत्रकार ने उनसे पूछ ही लिया "जब आपको कुछ पता ही नहीं है तो आप मुख्य मंत्री क्यों बने हुए हैं" ? 
बस, उस पर बरस पड़े सुशासन बाबू "अरे, ये भगवा आतंकवादी कहां से आ गया है यहां ? गिरफ्तार कर लो इसे दंगा भड़काने के आरोप में" । और उस पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया । इसी को तो अभिव्यक्ति की आजादी कहते हैं । अभिव्यक्ति की आजादी यदि किसी को देखनी हो तो वह बिहार, बंगाल, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, झारखंड, छत्तीसगढ में चला जाये, उसे अभिव्यक्ति की आजादी सत्ता के बूटों तले "जश्न" मनाती मिल जाएगी । 

सुशासन बाबू बहुत बड़े ज्ञानी आदमी हैं । आजकल उन्होंने अपना गुरू "चारा" चरने वालों को बनाया हुआ है । गुरू-चेला की जोड़ी बड़ी शानदार चल रही है । साथ में मुस्लिम लीग को महान सेक्युलर बताने वाले "दाढ़ी वाले संत" का वरदहस्त भी मिला हुआ है इसलिए सुशासन बाबू के ज्ञान चक्षु पूरी तरह खुले हुए हैं । वे हमेशा की तरह हाथ हिला हिला कर ज्ञान बघारने लगे 
"इतनी हाय तौबा काहे मचा रहे हो भैया ? पुल ही तो गिरा है सरकार तो नहीं गिरी है ना ? हम तो सरकार नहीं गिरने देने के लिए वचनबद्ध हैं । हम सरकार नहीं गिरने देंगे चाहे बाकी सब कुछ गिर जाये । सरकार को गिरने से बचाने के लिए हम कुछ भी करेंगे । चाहे चारा चोरों से हाथ मिलाना पड़े या विधायकों की खरीद फरोख्त करनी पड़े । हम सब कुछ करेगा पर सरकार नहीं गिरने देगा । 

रही बात पुल की तो पुल का क्या है ? ये कोई पहली बार गिरा है क्या ? पिछली साल भी तो गिर चुका है ये । अरे , जब राजनीति का स्तर रोज गिर रहा है तो क्या पुल नहीं गिरेगा ? ये तो हमारे सुशासन का परिणाम है कि पुल रोज नहीं गिर रहा है । अगर "उनकी" तरह होता तो रोज ही गिरता । "वे" तो रोज गिर रहे हैं । अब हमसे ये ना पूछिएगा कि "उनसे" मतलब क्या है ? आप सब समझदार हैं, सब जानते हैं । 

आपको पता ही है कि इस पुल का शिलान्यास हमने सन 2014 में किया था । अभी तो नौ साल ही हुए हैं इसे बनते बनते । जब तक हमारी सरकार रहेगी, ये पुल तो बनता ही रहेगा । यही तो हमारे सुशासन की पहचान है । जो काम हम शुरू करते हैं उन्हें हम खत्म नहीं करत हैं । अगर ये काम खत्म हो जायें तो लोग बेरोजगार नहीं हो जायें ? इस तरह हमने बेरोजगारी को बिहार से दूर भगा रखा है । ये अलग बात है कि बिहारी लोग पूरे भारत में रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं लेकिन हमने उन्हें बिहार में भटकने नहीं दिया है । यही हमारी उपलब्धि है । 

हमने बिहार को भारत का नंबर वन राज्य बना दिया है । अरे, ऊपर से ना सही, नीचे से ही सही, नंबर वन तो बना ही दिया है ना ? इसे नंबर वन बनाने में हमारी सरकार के समस्त दलों का पूरा पूरा सहयोग रहा है । पहले खानदानी दल ने फिर "चारा दल" ने और अब "सुशासन दल" ने दिन रात मेहनत करके बिहार को उस दीन हीन "अबला" की तरह बना दिया है जिसके पास न नहाने को कुछ है और न निचोड़ने को कुछ बचा है । अब तो उसे अपनी इज्ज़त भी प्यारी नहीं लगती है । अरे भई , जो चीज पहले ही लुट चुकी हो उसके बार बार लुटने का कोई मलाल नहीं होता है ना । और कोई नहीं हमीं ने लूट ली इज्ज़त । अब आप ही बताइए कि इज्ज़त को कोई ओढ सकता है या बिछा सकता है क्या ? 
देखो भैया , एक बात हम कहे देते हैं कि बिहार की धरती बहुत पवित्र धरती है । जबसे "बडे भैया और आदरणीया भाभी श्री" बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं तब से यह धरती अति पावन बन गई है । और जबसे हम मुख्य मंत्री बने हैं तब से तो यह धरती मथुरा , काशी, अयोध्या से भी ज्यादा पूज्य बन गई है । अब इतनी पवित्र धरती पर जब गंगा मैया उतर आईं तो गंगा मैया को छूने की चाहत किस की नहीं होगी भला ? आपको पता है ना कि किस तरह यमुना मैया श्रीकृष्ण के पैर छूने के लिए मचल उठी थी । उसी तरह ये पुल भी बिहार की पावन धरती को छूने के लिए मचल उठा था । उसने खुद को रोकने की बहुत कोशिश की मगर ऐसी पुण्य भूमि से दूर रहना कोई मामूली बात है क्या ? भागकर दौड़ा पैर छूने को । इसी भाग दौड़ में गिर पड़ा ससुर का नाती । अब इसमें किसी का कोई दोष है क्या ? पुल को भी बिहार की धरती मैया के पैर छूने की क्या पड़ी थी ? पर ये सब "भगवा" वालों की सोहबत का असर है । खुद तो कम्युनल हैं ही बेचारे पुल को भी कम्युनल बना दिए हैं । लेकिन हम और बड़े भैया दोनों मिलकर इन कम्युनल लोगों को बिहार की धरती से धक्के मार मारकर बाहर फेंककर ही रहेंगे । देख लेना तुम । 

वैसे भी ये संसार तो नश्वर है । एक न एक दिन सभी को "गिरना" ही है । आज पुल गिरा है कल किला गिरेगा । अरे भई "कुशासन" का और किसका ? जब इस देश के नामी गिरामी खानदान ही गिर रहे हैं तो पुल कौन सी बड़ी चीज है ? खानदानी चिराग , आईआईटियन कट्टर ईमानदार, हिन्दू हृदय सम्राट की औलाद , निर्ममता दीदी, खैराती पत्तलकार, लिब्राण्डु, बॉलीवुडिये, अवार्ड वापसी गैंग और आन्दोलनजीवी इतने गिर चुके हैं कि बेचारी गिरावट खुद शर्म से धरती के नीचे गढ़ गई है । 

अब और कुछ पूछना है क्या किसी को ? नहीं तो जाओ और ट्रेन हादसे की खबरें छापो । "उनकी" लापरवाही से 575 लोग मर गये हैं । अरे, ये आंकड़े सरकारी नहीं हमारे हैं । सरकार तो झूठ बोल रही है और मौतों का आंकड़ा केवल 275 बता रही है पर हमने वहां जाकर खुद एक एक को गिना है । पूरे 575 थे । और अभी तो मरने का सिलसिला थमा नहीं है । पर हमारे पुल को देखो । एक भी आदमी नहीं मरा । ये पुल सेक्युलर है इसलिए एक भी नहीं मरा । उनकी रेल कम्युनल है इसलिए इतने सारे लोग मर गए । अब देश की जनता को सोचना है कि इन कम्युनल लोगों को लाओगे तो रेल हादसे जैसी घटनाओं से लोग मरते रहेंगे और हम जैसे सेक्युलर्स को लाओगे तो हादसों से नहीं मरोगे अलबत्ता साम्प्रदायिक दंगों में मरकर भी अमर हो जाओगे । ठीक है ना" ? 

उनका ज्ञान और प्रवचन सुनकर देश निहाल हो गया । चमचे लोग नारे लगाने लगे 
सुशासन बाबू  । अमर रहे अमर रहे ।।
चारा जमीन खायेंगे । बिहार को चूना लगायेंगे ।। 

इन नारों पे जेहादी और जातिवादी लोग झूमने नाचने लगे । 

श्री हरि 
5.6.23 


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5 Comments

madhura

07-Jun-2023 12:29 PM

nice

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Sachin dev

06-Jun-2023 05:37 PM

Well done

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Jun-2023 01:20 AM

🙏🙏

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Abhinav ji

06-Jun-2023 09:22 AM

Very nice 👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Jun-2023 01:20 AM

🙏🙏

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